दिल्ली दंगों में खाड़ी देशों से पैसा आने की बात पर क्या बोले अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान
फरवरी-मार्च में हुए दंगों के दौरान अपने बेहद सख्त रुख के कारण सुर्खियों में आए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन जफरुल इस्लाम खान का कार्यकाल इस रविवार को समाप्त हो रहा है। कथित तौर पर एक विवादित ट्वीट करने के मामले में उन पर एक मामला भी चल रहा है और उनसे दो बार पूछताछ भी हो चुकी है। दिल्ली दंगों के मामले में कुछ लोगों पर खाड़ी देशों के पैसों से दंगा फैलाने की साजिश रचने के भी आरोप लग रहे हैं। इन मुद्दों पर अब उनकी राय क्या है, यह जानने के लिए हमारे विशेष संवाददाता अमित शर्मा ने जफरुल इस्लाम खान से बातचीत की। प्रस्तुत है वार्ता के प्रमुख अंश-
प्रश्न- दिल्ली दंगों के मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे हैं। दंगों के दौरान आप भी 2 मार्च को घटनास्थल पर पहुंचे थे और जांच के लिए आपने एक कमेटी का गठन भी किया था। आपने अपनी जांच में क्या पाया था?
दंगों के मामले में दो-तीन चीजें बेहद स्पष्ट हैं और जिनमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है, वह ये कि ये दंगे पूरी तरह प्रायोजित थे। 20-30 साल के सैकड़ों लड़के बाहर से लाये गये थे, उन्होंने ऊंची बिल्डिंगों पर कब्जा किया, वहां से बम फेंके, हत्या, लूटपाट, आगजनी की और मौका देखते ही वहां से निकल गये। अब पुलिस जहां चाहे जिस किसी को भी गिरफ्तार कर रही है।
जहां तक पुलिस की भूमिका की बात है, मैं आपको स्पष्ट तौर पर बताना चाहूंगा कि पुलिस की कई तरीके की भूमिकाएं सामने आई हैं। कहीं पुलिस पूरी तरह आंख बंदकर बैठी रही तो कहीं पर उसने पीड़ितों को बचाने, उनकी मदद करने की कोशिश भी की है। कहीं उसने मदद करने की कोशिश की लेकिन उसे मदद करने से रोका भी गया। लेकिन वह अपनी इस नाकामी को नहीं छिपा सकती कि इतने बड़े स्तर पर दंगों की साजिश कर दी गई और उसे इसकी भनक तक नहीं लगी। इसकी जांच होनी चाहिए कि पुलिस इतने व्यापक स्तर पर नाकाम क्यों रही? : Amar Ujala

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